"इस्तीफा"

गुनाह तुमने किया ,
गुनाहगार मुझको किया ,
इस्तीफा मुझ से लिया ,
बदनाम मुझ को किया ,
जिसके सम्मान को ,
मुझ से इस्तीफा है लिया ,
दुष्प्रचार उसके विपरीत किया ,
गुनाह तुमने किया ,
गुनाहगार मुझको किया ,


मेरी रोजी गई ,
मेरी रोटी गई ,
मेरा मान गया ,
सम्मान गया ,
अपमान गरल को मैंने पिया ,
अठ्हास मुझ पर तुने किया ,
गुनाह तुमने किया ,
गुनाहगार मुझको किया ,


अपयश की कोठरी मुझ को मिली ,
यश का गुलदस्ता तुमने लिया ,
तुमने पल पल ही मुझे को बदनाम किया ,
मेरी प्रतिभा को तुमने खंडित किया ,
गुनाह तुमने किया ,
गुनाहगार मुझको किया ,


मेरे भोलेपन को कुचला दिया ,
मेरे विशवास का तुमने मर्दन किया ,
जाना था सलाहकार तुमको सदा ,
तुमने ही मुझे को दगा है दिया ,
मेरा इस्तीफा था साजिशो का एक मोहरा ,
यदि इसका भान हुआ होता ,
प्रतिक्रिया हमारी आती जरुर ,
गुनाह तुमने किया ,
गुनाहगार मुझको किया ,


साजिशे अब मुझ को डराती नहीं ,
सीपों सी उसको चुनती रही ,
आँचल में उसको बुनती रही ,
अब ये खिलौना है मेरे लिए
इसी ने मुझको है पत्थर किया
झंझावातों से लड़ना सिखाया मुझे
गुनाह तुमने किया ,
गुनाहगार मुझको किया ,


                                               प्रतिभा प्रसाद |

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