कैसे होगा मिलन हमारा
तुम सुबह मैं शाम सखी
कैसे होगा मिलन हमारा
तुम दिन मैं रात सखी
कैसे होगा मिलन हमारा
तुम जीत मैं हार सखी
कैसे होगा मिलन हमारा
तुम धूप मैं छाँव सखी
कैसे होगा मिलन हमारा
तुम खास मैं आम सखी
नशा तुम्हारे ऊपर अब भी
जाम तुम्हारा खनक रहा
जामों को टकराकर तुम तो
मदहोश हुई सी जाती हो
मैं तो तुम से दूर खड़ी हूँ
देख तुम्हें मदमस्त हुई
साहस पाकर जाम उठाने
हाथ बढ़ा यूँ पहुँच गई
जाम अभी भी दूर पड़ा है
तुम भी मुझसे दूर खड़ी
मंद पवन के चंद झकोरे
तुम तो हो मदमस्त परी
कैसे होगा मिलन हमारा
मैं पास तुम दूर खड़ी
मैं तो हूँ एक आम सखी ही
तुम तो हो एक ख़ास सखी
कैसे होगा मिलन हमारा
मैं पास तुम दुए खड़ी !!
प्रतिभा प्रसाद |
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