जग बदला है दुनिया बदली
घर की नारी सोई हुई
रात अधिक तक टीवी देखा
नींद नहीं अब खुलती है
घर का काम कौन करे अब
सासूजी पर पिलती है
मुन्ने को नहीं दूध पिलाया
चौका-चूल्हा बंद पड़ा
कैसी है ये सासू माता
जरा नहीं यह सुनती है
मैं सोई थी क्यों जो उठाया
काम क्यूँ नहीं किया जरा
पति हमारा रूपये लाता
बैठी सासूजी खाती हैं
शर्म नहीं जरा भी इनको
आकर हमें उठाती हैं !!
प्रतिभा प्रसाद |
घर की नारी सोई हुई
रात अधिक तक टीवी देखा
नींद नहीं अब खुलती है
घर का काम कौन करे अब
सासूजी पर पिलती है
मुन्ने को नहीं दूध पिलाया
चौका-चूल्हा बंद पड़ा
कैसी है ये सासू माता
जरा नहीं यह सुनती है
मैं सोई थी क्यों जो उठाया
काम क्यूँ नहीं किया जरा
पति हमारा रूपये लाता
बैठी सासूजी खाती हैं
शर्म नहीं जरा भी इनको
आकर हमें उठाती हैं !!
प्रतिभा प्रसाद |
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