नारी का रूप - 3

पति के आँफ़िस से आते ही 
पत्नी ने माँगा वेतन 
वेतन की तो बात न पूछो
कर्तव्य तुम्हारा हुआ नहीं 
पहले तो कर्तव्य करो तुम 
फिर अधिकार की बात करो 
मुन्ना मेरा रो-रो मरता 
दादी-दादी कहता है 
आया बन बच्चों को पाला
वही वेतन की अधिकारी है 
पत्नी नहीं सिर्फ पलंग की शोभा 
घर की है वह गृहस्वामिनी 
बड़ों का जब मान करे तब 
होती है वह बहुरानी 
तुम तो दिन भर सोया करती 
साँझ-सवेरे घुमा करतीं 
फिर टीवी देखा करतीं हो 
घर की तुम्हें परवाह नहीं है 
न ही अपने बच्चों की 
चौका-चूल्हा अम्मा करती 
आया बन बच्चों को ढोती
वेतन तो उन्हें ही देना है 
जो सोवत है सो खोवत है 
जो जागत है सो पावत है !!
                                          प्रतिभा प्रसाद |

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