अमन-चैन

यशोदा सुलाने चली कृष्ण-कन्हैया को 
हे बालगोपाल कृष्ण सो जा ,
वरना लादेन आएगा 
तुमको उठाएगा 
आतंकवादी बनाएगा 
नहीं बना तो
तुम्हें गोली से उड़ाएगा
कृष्ण ने हँसकर कहा ,
अच्छा! उसकी ऐसी मजाल !
उसकी मशीनगन क्या मेरे सुदर्शन चक्र से टकराएगा ?
पूतना का वध क्या वह भूल गया ?
आ जाने दे , दो चार हाथ कर लेने दे 
कालिया की तरह उसके भी सिर पर नाचूँगा 
उसे आतंकवादी से इन्सान बना डालूँगा 
फिर मशीनगन की जगह 
उसके हाथ में होगा मोर का पंख 
जिसे झलकार वह मुझे सुलाया करेगा 
धमकी की जगह लोरियाँ गाया करेगा 
फिर पूरा विश्व अमन-चैन से सोया करेगा !!
                                                                   प्रतिभा प्रसाद

 

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