देखे थे उसने सिर्फ चौदह बसंत
अनायास हो गई दोस्ती यमराज संग
थी जिसे वादाखिलाफ़ी से सख्त नफरत
उसने वादा निभाया दोस्ती का
चला दोस्त के साथ यमलोक
जाते-जाते देख गया
जिन कातर नयनों से
माँ ने पढ़ ली नयनों की भाषा
कह रहे थे नयन उसके
माँ मत रोना , मेरे जाने से
तुमसे है यह आख़री प्रार्थना
मैंने देखा नहीं बहुत कुछ
धरा पर है कितनी सुन्दरता
एक बार फिर मुझे गर्भ में लाना
जन्म देकर पृथ्वी दिखलाना
पुत्रधर्म मैं तब ही निभाऊ
जो इस जन्म में छुट गया है मुझसे
कह कर उसने आँखें मूंद लीं
कह कर मुझे अलविदा
चला गया कहीं गगन पर
अब भी मैं उसकी बाट जोहती
कहीं तुम्हें दिख जाए तो
माँ का प्यार पहुंचा देना
माँ तुम्हारी राह देख रही
यह सन्देश सुना देना
आ जा मेरे बेटे एक बार तुम
बस एक आलिंगन ले लेने दो ......!!
प्रतिभा प्रसाद |
No comments:
Post a Comment