होली से एक दिन पहले
इनकी खो गई एक अंगूठी
बहुत ढूंढा पर मिली नहीं
होली इनकी फीकी -फीकी रही
इतने में आई एक पड़ोसन
हाथों में अंगूठी और चेहरे पर शरारत
चाहती थी शाबाशी और ईनाम
इन्होंने झट हाथ बढ़ाया
और अँगूठी को अपनी अँगुली में पहुँचाया
पड़ोसन शुक्रिया या मिठाई पाने की
मुद्रा में खड़ी मुस्कुराती रही
ये मुस्कुराये और अँगुली को नचाया
कहा , कल आपने हाथ मिलाया था
कब निकल लिया पता ही नहीं चला ....
और पड़ोसन का चेहरा
बिना गुलाल के ही गुलाबी हो गया |
प्रतिभा प्रसाद |
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