नमकीन फल

दस वर्ष का बच्चा था 
बंगले में काम किया करता था 
सीलन भरी कोठरी थी उसकी 
बिस्तर गीला-गीला था 
तकिये में सर रखकर 
ख़ूब रोया करता था 
मैंने जब देखा उसको 
गमले में वह पानी देता 
पेड़-पौधों को सींचा करता 
अमरुद के पेड़ तले वह 
ख़ूब रोया करता था 
डाली को वह गले लगाता
बातें ख़ूब किया करता 
अम्मा-अम्मा कह-कहकर 
लिपट-लिपट वह जाता था 
साहब की जब झिड़की पड़ती 
भाग यहीं वह आता था 
अमरुद की छाँव तले 
वह अम्मा का साया पाता था 
मन में मेरे शूल उठा था 
मित्र पर गुस्सा आया था 
एक माह की छुट्टी पर 
मैंने उसे घर भिजवाया था 
जाते  वक्त वह रोया था 
कातर नयनों से देखा था 
नहीं आया जब वापस भोलू 
मित्र मेरा गरमाया 
चार वर्ष में छुट्टी नहीं देने का
कारण भी यही बताया 
मीठे अमरुद में
जब नमकीन फल आया 
मित्र मेरा भरमाया 
कारण समझ न पाया 
मैं प्रसन्न था ,
मुस्कुरा रहा था 
सामने खिले फूल में 
भोलू को पा रहा था 
नमकीन अमरुद का राज़
समझ में आ रहा था ! 
                                     प्रतिभा प्रसाद |





No comments:

Post a Comment