नया भारत बनाना है

आओ फिर मिलकर एक बार 
भारत को सोने की चिड़ियाँ  बनाना है 
एक बार फिर वन वनिता को
उसके आँगन पहुंचना है
एक बार फिर मन सरिता में कोमल भाव जगाना है
भावनाओं की नौका में चढ़ सिन्धु पार कर जाना है
बिछुडों को गले लगाना है
पतितों को भी तो उठाना है
नेताओं में फिर एक बार तो सेवाभाव जगाना है
अपने अन्दर के कलुष को आंसू से धोते जाना है
पीड़ा में आनंद का अनुभव 
भय नहीं जिसको जलने में
ऐसी फौज बनाना है
घर के अन्दर के दुश्मन में
प्रेमभाव जगाना है
टूट रही जो अर्थव्यवस्था 
सबको सुमार्ग पर लाना है
फिर एक बार मिलकर 
नया भारत बनाना है !!
                                   प्रतिभा प्रसाद |

No comments:

Post a Comment