मंद पवन का झोंका

पहली बार प्यार
चलकर दिल तक आया है 
मुझको नहलाया है,
कुछ ख़ास अहसास कराया है
मन डूब-डूब जाता है
उसमें नहाना है
फिर पुलक-पुलक कर
तट पर छलक-छलक जाता है
दूर से ही सबको 
इसका अहसास करता है
ऐ मालिक के बन्दे ! नयन बंद तू कर ले 
कहीं छलक-छलक कर तुम से
दूर न हो जाए 
इस अहसास को तुम तो
अन्दर ही कैद कर लो
गुमसुम सा रहना छोड़ो 
अंक आबाद कर लो
बदलेगी तेरी दुनिया 
तुम दुनिया को बदलोगे
अहसास प्यार अनूठा 
है मंद पवन का झोंका !!
                                        प्रतिभा प्रसाद |

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