शराबी माँ का बेटा
शराबी बाप का बेटा
ग़रीबी में है पलता
ग़रीबी में है बढ़ता
पढ़ने की चाहत में
प्यार से महरूम है रहता
मार खा-खाकर भी वह
काम ख़ूब है करता
है उसे रोटी की चिंता
है उसे बोटी की चिंता
चिंता है उसे और भी कई
घर की चिंता है
भाई-बहन की चिंता है
सबके खाने की चिंता है
सबके रहने की चिंता है
यह सब तो वह करता है
फिर भी वह रोता है
प्यार है उसका बंद
दारू की बोतल में
पढ़ाई है उसकी बंद
दारु की बोतल में
इस दारु की बोतल में
न जाने क्या-क्या है बंद
थी कभी पिता को भी पढने की तमन्ना
आज उसे भी है
किन्तु चंद महीनों के बाद
जब होंगे सारे रास्ते बंद
वह भी दारु पियेगा
अब सिर धुनेगा
पढ़ने की चाहत
घर बनाने की चाहत
सब धूल में मिल जाएगी
वह दारु पियेगा
दारु उसे पियेगी
शराबी माँ का बेटा
शराबी बाप का बेटा
क्या शराबी बनकर ही जियेगा ?
नहीं, उसने समाज को धता बताई
अपनी मेहनत से अपनी दुनिया बनाई
पढ़-लिखकर नौकरी पर आया
माँ-बाप का दारु बंद कराया
शराबी माँ का बेटा
शराबी बाप का बेटा
अपनी मेहनत से
अच्छा इन्सान बन पाया |
प्रतिभा प्रसाद |
शराबी बाप का बेटा
ग़रीबी में है पलता
ग़रीबी में है बढ़ता
पढ़ने की चाहत में
प्यार से महरूम है रहता
मार खा-खाकर भी वह
काम ख़ूब है करता
है उसे रोटी की चिंता
है उसे बोटी की चिंता
चिंता है उसे और भी कई
घर की चिंता है
भाई-बहन की चिंता है
सबके खाने की चिंता है
सबके रहने की चिंता है
यह सब तो वह करता है
फिर भी वह रोता है
प्यार है उसका बंद
दारू की बोतल में
पढ़ाई है उसकी बंद
दारु की बोतल में
इस दारु की बोतल में
न जाने क्या-क्या है बंद
थी कभी पिता को भी पढने की तमन्ना
आज उसे भी है
किन्तु चंद महीनों के बाद
जब होंगे सारे रास्ते बंद
वह भी दारु पियेगा
अब सिर धुनेगा
पढ़ने की चाहत
घर बनाने की चाहत
सब धूल में मिल जाएगी
वह दारु पियेगा
दारु उसे पियेगी
शराबी माँ का बेटा
शराबी बाप का बेटा
क्या शराबी बनकर ही जियेगा ?
नहीं, उसने समाज को धता बताई
अपनी मेहनत से अपनी दुनिया बनाई
पढ़-लिखकर नौकरी पर आया
माँ-बाप का दारु बंद कराया
शराबी माँ का बेटा
शराबी बाप का बेटा
अपनी मेहनत से
अच्छा इन्सान बन पाया |
प्रतिभा प्रसाद |
No comments:
Post a Comment