वे जब भी आते
साथ में 'लुगाई पुराण' भी लाते
ऐसी-ऐसी उपमाओं से
अपनी लुगाई को अलंकृत करते
कि हम सब हँसे बिना नहीं रहते
एक दिन उनकी लुगाई से मिलना हुआ
सच का पर्दाफाश हुआ
उनके हंसोड़पन का ज्ञान हुआ
व्यवहारकुशल, सुन्दर , शालीन थी
उनकी लुगाई आवभगत में लीन थी
मैं अपनी सोच में विलीन थी
महिलाएं ही हास्य का आलम्बन क्यों ?
दुसरे दिन जब वे आए
अपने लुगाई पुराण का ताज़ा अंक लाए
तभी मैंने उस लुगाई के
पति कि ताज़ा खबर सुनाई
सुन्दरता के विपरीत कुरूपता का पाठ पढ़ाया
वे शर्माए झल्लाए झेंपे
कहा , दूसरों को कोई भी उपमा देना
कितना है सरल
जब बोझ अपने सिर आता है
असलियत दिखलाता है
मन को रुलाता है
तब ये भाव हो जाता है विरल
मैंने तन से ही नहीं
मन से सुन्दर पत्नी का अपमान किया है
आज जब आपने दिखा दिया है आईना
हिम सी पीर से जड़वत हो गया हूँ मैं
मेरी लुगाई तब भी मुस्कुराती थी
अब भी मुस्कुराती है |
अब समझ आया
इन सब से परे निर्विकार होना
केवल मुस्कुराना....दिल में मुस्कुराना
भी है एक कला
ज़िंदादिली की मिसाल
जो सीख मुझे लुगाई ने दी है
उसे याद रखूंगा
अब किसी को
मिथ्या आलम्बन नहीं बनाऊंगा
सच के लिए सच ही लिखूंगा |
प्रतिभा प्रसाद |
साथ में 'लुगाई पुराण' भी लाते
ऐसी-ऐसी उपमाओं से
अपनी लुगाई को अलंकृत करते
कि हम सब हँसे बिना नहीं रहते
एक दिन उनकी लुगाई से मिलना हुआ
सच का पर्दाफाश हुआ
उनके हंसोड़पन का ज्ञान हुआ
व्यवहारकुशल, सुन्दर , शालीन थी
उनकी लुगाई आवभगत में लीन थी
मैं अपनी सोच में विलीन थी
महिलाएं ही हास्य का आलम्बन क्यों ?
दुसरे दिन जब वे आए
अपने लुगाई पुराण का ताज़ा अंक लाए
तभी मैंने उस लुगाई के
पति कि ताज़ा खबर सुनाई
सुन्दरता के विपरीत कुरूपता का पाठ पढ़ाया
वे शर्माए झल्लाए झेंपे
कहा , दूसरों को कोई भी उपमा देना
कितना है सरल
जब बोझ अपने सिर आता है
असलियत दिखलाता है
मन को रुलाता है
तब ये भाव हो जाता है विरल
मैंने तन से ही नहीं
मन से सुन्दर पत्नी का अपमान किया है
आज जब आपने दिखा दिया है आईना
हिम सी पीर से जड़वत हो गया हूँ मैं
मेरी लुगाई तब भी मुस्कुराती थी
अब भी मुस्कुराती है |
अब समझ आया
इन सब से परे निर्विकार होना
केवल मुस्कुराना....दिल में मुस्कुराना
भी है एक कला
ज़िंदादिली की मिसाल
जो सीख मुझे लुगाई ने दी है
उसे याद रखूंगा
अब किसी को
मिथ्या आलम्बन नहीं बनाऊंगा
सच के लिए सच ही लिखूंगा |
प्रतिभा प्रसाद |
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