तुझसे ही तुझको अब
पाने का मन करता है
बच्चों के संग मिलकर अब
गाने का मन करता है
जो भूल गए तुम सपनों को
उन्हें याद दिलाने का मन करता है
प्रलय की चिंता से घबरा
जो घरौंदे तुमने छोड़ दिए
अब नई चेतना से
उन्हें सजाने का मन करता है
नियंत्रण में फंसकर उलझती रही हूँ
नियंत्रण से बाहर निमंत्रण पर
अब तो जीने का मन करता है
प्रतिभा प्रसाद |
पाने का मन करता है
बच्चों के संग मिलकर अब
गाने का मन करता है
जो भूल गए तुम सपनों को
उन्हें याद दिलाने का मन करता है
प्रलय की चिंता से घबरा
जो घरौंदे तुमने छोड़ दिए
अब नई चेतना से
उन्हें सजाने का मन करता है
नियंत्रण में फंसकर उलझती रही हूँ
नियंत्रण से बाहर निमंत्रण पर
अब तो जीने का मन करता है
प्रतिभा प्रसाद |
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