पीढ़ी

अहंकार में जब झुमने लगा मन 
अम्बर पृथ्वी लगने लगे कम 
मन बल्लियों उछलता था
न जाने कहाँ-कहाँ के गोते लगाता था 
सामने कोई भी आ जाए
सब छोटा लगता था 
रावण का अहंकार सच्चा लगता था 
अचानक सब कुछ बदल गया 
मन ने दिल से पूछा 
क्या अहंकार महानाश का कारण है ?
दिल ने कहा -
सच को क्या प्रमाण की जरुरत है?
तब से मैंने
मन को वश में करने की 

कला सीख ली है 
अब भी मन झूमता है 
बल्लियों उछलता है 
पर उसमें अहंकार नहीं होता |
                                                प्रतिभा प्रसाद |

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