देखा एक छोटा-सा बच्चा
गली-गली में घूम रहा था
जाने क्या क्या ढूंढ़ रहा था !
इधर-उधर वह जाता था
फिर घूमकर आता था
कुछ सयाने लोग खड़े थे
उसको ऐसे देख रहे थे
कुछ आते, कुछ जाते थे
बच्चा भी था अड़ा हुआ
जाने क्यूँ था खड़ा हुआ
अब बच्चा था हाथ पसारे
सब से कुछ कुछ मांग रहा था
खड़े लोग सब जाने लगे
बच्चे से कतराने लगे
मैंने पूछा , बात हुई क्या ?
जाते हो तो कुछ पैसे दे दो
बच्चे की मज़बूरी समझो
हंसकर बोले, मैडम समझो
बच्चे को बच्चा मत मानो
मांग रहा क्या यह तो जानो
कहाँ से लाऊं शर्म हया मैं ?
ईमानदारी और देशप्रेम को
लाकर उसकी झोली में डालूं
यहाँ सब बेशर्म खड़े हैं
भ्रष्टाचार रग-रग में फैला
बच्चा जो कुछ मांग रहा है
कलियुग में वह नहीं है मिलता
शर्म हया जब नहीं है मुझमें
उसकी झोली में कहाँ से डालूं
मांग रहा वह देशप्रेम, ईमानदारी
शर्म, हया और सहनशक्ति !!
प्रतिभा प्रसाद |
गली-गली में घूम रहा था
जाने क्या क्या ढूंढ़ रहा था !
इधर-उधर वह जाता था
फिर घूमकर आता था
कुछ सयाने लोग खड़े थे
उसको ऐसे देख रहे थे
कुछ आते, कुछ जाते थे
बच्चा भी था अड़ा हुआ
जाने क्यूँ था खड़ा हुआ
अब बच्चा था हाथ पसारे
सब से कुछ कुछ मांग रहा था
खड़े लोग सब जाने लगे
बच्चे से कतराने लगे
मैंने पूछा , बात हुई क्या ?
जाते हो तो कुछ पैसे दे दो
बच्चे की मज़बूरी समझो
हंसकर बोले, मैडम समझो
बच्चे को बच्चा मत मानो
मांग रहा क्या यह तो जानो
कहाँ से लाऊं शर्म हया मैं ?
ईमानदारी और देशप्रेम को
लाकर उसकी झोली में डालूं
यहाँ सब बेशर्म खड़े हैं
भ्रष्टाचार रग-रग में फैला
बच्चा जो कुछ मांग रहा है
कलियुग में वह नहीं है मिलता
शर्म हया जब नहीं है मुझमें
उसकी झोली में कहाँ से डालूं
मांग रहा वह देशप्रेम, ईमानदारी
शर्म, हया और सहनशक्ति !!
प्रतिभा प्रसाद |
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