..जीत

...........जीत........ प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर
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मन के जीते जीत है
मन के हारे हार
कोई जीत कर हारे
कोई हार कर जीता भाये
कहना क्या है यह भी सोचो
और क्या करना है भाय
हार कर जीतने वाला
बाजीगर कहलाए
कोई अपनों के लिए
अपने से हार जाता
ऐ जीत हार क्या है
सुख का क्षणिक भाव
मेरा हो तेरा हो
मन के जीते जीत है
मन के हारे हार. ।।

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