..….सुन मितवा ............. प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर

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एक अरज मेरी सुन मितवा
अंर्तमन के भावों में क्या
तुम ने जगह बनाई है
क्या मितवा बन पाए मेरे
सरगम कोई छेड़ी है
जीवन के जीन सात सुरों से
जीवन बगिया खिलती है
उस बगिया में क्या तुम ने
कोई फूल खिलाइ है
जीवन एक उपवन बन जाए
ऐसी जगह बनाई है
मन वीणा के तार झंकृत
करने कोई आयेगा
वही मितवा कहलायेगा
अब भी बोलो
सच बोलो तुम
उन सात सुरों में एक सुर भी
क्या मेरे लिए बजाओगे
तुम मेरे मितवा बन पाओगे
या  मन वीणा के तार झंकृत
करने कोई आयेगा
वही मितवा कहलायेगा
इंतजार करुं मैं उसका
वह कान्हा कहलायेगा ।।


🌹 प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर।
      26.4.17..... सर्वाधिकार सुरक्षित।

....... विश्वास......... प्रतिभा प्रसाद कुमकुम 🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾

.......                विश्वास......... प्रतिभा प्रसाद कुमकुम

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कब हां कहोगे कब ना कहोगे
एक निर्णय तो ले लो
विश्वास अधूरा खलता है
दोनों को ही छलता है
अब छोड़ चले हो साथी को
पर साया साथ तो चलता है
दोनों के रुह तो मिलतें हैं
आपस में कुछ कुछ कहतें हैं
जिस्म अलग हो जाने दो
रुहों को मिल जानें दो ।।


🌹 प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर
      27.4.17.......

सुकमा पर क्यों हुए मौन हम

.......सुकमा पर क्यों  हुए मौन हम  .... प्रतिभा प्रसाद कुमकुम

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सुकमा पर क्यों हुए मौन हम
रक्त रंजित लाल देखकर मां है मौन
सदमे में अब बोलेगा कौन
कारण और निवारण सब जानते हैं
अमल में लाएगा कौन
आक्रोश को उबलने दो
तुफान के पहले की खामोशी
रचेगा नया इतिहास
आसुरी शक्ति प्रचंड
 शिखर पर चढ़ करे प्रहार
चाहे जितना करे
नर संहार का नर्तन
भोले शंकर के तांडव पर
सब हो जाएगा मौन
बस इंतजार है उस तांडव का
लाएगा न्याय दिलाएगा न्याय
सुकमा के उन शहीदों को
सुकमा पर इसीलिए सब हैं मौन
करने वाले कहते नहीं
सिंहनाद गर्जन कर देतें हैं परिणाम ।


🌹.    प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर।
          27.4.17.... सर्वाधिकार सुरक्षित ।

आत्म विजेता

..........आत्म विजेता ....... प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर

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आत्म विजेता बनने के लिए
करना है एक काम
मनसा वाचा कर्मणा
आचरण में आत्मसात
धर्म नीति की कामना
सदा सर्वदा साथ
धर्म की राह पर
नीति भी साथ हो
न कोई पाप हो
पूण्य का प्रताप हो
आत्म विजय प्राप्त हो
मनसा वाचा कर्मणा
नित्य साथ साथ हो
दुर्गम राह पर
यही मेरे हाथ हो
आत्म विजेता बनने की
यही एक राह है
चल पड़ें हैं राह पर
मंजिल मेरे पास है. ।।


🌹.       प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर।
              27.4.17... सर्वाधिकार सुरक्षित।

..जीत

...........जीत........ प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर
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मन के जीते जीत है
मन के हारे हार
कोई जीत कर हारे
कोई हार कर जीता भाये
कहना क्या है यह भी सोचो
और क्या करना है भाय
हार कर जीतने वाला
बाजीगर कहलाए
कोई अपनों के लिए
अपने से हार जाता
ऐ जीत हार क्या है
सुख का क्षणिक भाव
मेरा हो तेरा हो
मन के जीते जीत है
मन के हारे हार. ।।

साथ साथ

......... साथ साथ....... प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर

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प्रथम मिलन पर जो तुम ने

थामा मेरा हाथ

बिजली सी कुछ दौड़ गई

हम दोनों थे साथ 

चुम्बकीय आकर्षण हुआ

मिले हम दिन रात

प्रथम मिलन की बेला थी

लिए साथ मधुमास

अंतस से झर रही 

नेह सुधा रस धार

ऐसे ही रहना सदा 

देना मेरा साथ

वन उपवन सम 

जीवन सुहानी

समग्र खुशबू फैलाए

तम को सदा सर्वदा

जीवन से दूर भगाए

आओ मिलकर 

प्रण कर लेते

जीवन में हो मधुमास

हाथ में हो हाथ

सदा रहे तुम्हारा साथ ।।

🌹प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर।

     28.4.17....सर्वाधिकार सुरक्षित ।

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