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एक अरज मेरी सुन मितवा
अंर्तमन के भावों में क्या
तुम ने जगह बनाई है
क्या मितवा बन पाए मेरे
सरगम कोई छेड़ी है
जीवन के जीन सात सुरों से
जीवन बगिया खिलती है
उस बगिया में क्या तुम ने
कोई फूल खिलाइ है
जीवन एक उपवन बन जाए
ऐसी जगह बनाई है
मन वीणा के तार झंकृत
करने कोई आयेगा
वही मितवा कहलायेगा
अब भी बोलो
सच बोलो तुम
उन सात सुरों में एक सुर भी
क्या मेरे लिए बजाओगे
तुम मेरे मितवा बन पाओगे
या मन वीणा के तार झंकृत
करने कोई आयेगा
वही मितवा कहलायेगा
इंतजार करुं मैं उसका
वह कान्हा कहलायेगा ।।
🌹 प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर।
26.4.17..... सर्वाधिकार सुरक्षित।
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एक अरज मेरी सुन मितवा
अंर्तमन के भावों में क्या
तुम ने जगह बनाई है
क्या मितवा बन पाए मेरे
सरगम कोई छेड़ी है
जीवन के जीन सात सुरों से
जीवन बगिया खिलती है
उस बगिया में क्या तुम ने
कोई फूल खिलाइ है
जीवन एक उपवन बन जाए
ऐसी जगह बनाई है
मन वीणा के तार झंकृत
करने कोई आयेगा
वही मितवा कहलायेगा
अब भी बोलो
सच बोलो तुम
उन सात सुरों में एक सुर भी
क्या मेरे लिए बजाओगे
तुम मेरे मितवा बन पाओगे
या मन वीणा के तार झंकृत
करने कोई आयेगा
वही मितवा कहलायेगा
इंतजार करुं मैं उसका
वह कान्हा कहलायेगा ।।
🌹 प्रतिभा प्रसाद कुमकुम जमशेदपुर।
26.4.17..... सर्वाधिकार सुरक्षित।