खुशफहमी

खुशफहमी थी मुझे
कि साथ हो तुम मेरे
तुम्हारे छल के तीर
निशाने पर मेरा विश्वास
त्याग तपस्या निष्ठा
निशाना चूका या
साईं ने थामा
साईं ने विश्वास का
मुझे फल दिया
जो भी हुआ
खुशफहमी टुटी
लोग बेनकाब हुए
छल का जीवन है शेष
बचा न उसका कुछ लेश
मेरी खुशफहमी की
तुम साथ हो मेरे
अब नही है
क्यो की
तुम कभी
पास भी नही थे मेरे
था तो सिर्फ छल धोखा
रह गया वह अकेला
किसी और पात्र के तलाश में
ताजी स्वरचित है

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