Friend Asha Gupta Book Release in Jamshedpur

On The Occasion Of My Friend Asha Gupta's Book Release:


Asha Gupta:-

 "Pratibha Prasad sharing her thoughts about me and my kavya sangrah..Dhanyabad Pratibhaji

झुठ

झुठ के खिडकी दरवाजे
छल का घर मे रहना
क्या रखा है ऐसे घर में
जहां सच हो सपना
रिश्ता हो जब छल से सींचा
रिश्तों मे खिचातानी
छल के कुनवे भर जायेगें
नही कहीं सच का पानी
झुठ के खिडकी दरवाजे
सच को ढक नही पाते
छल के कनवे लड लड कर
आपस में मर जाते
अन्तिम विजय सच की होती
होता मन अभिमानी
आओ चल कर प्रण कर लेते
सच जीवन का सानी
सच में रहना
सच में जीना
तप करना है ग्यानी
सच की यही कहानी
स्व रचित. प्रतिभा

पुरानी यादें


पुरानी यादों से निकल कर
पुरानी बातों से निकल कर
पुरानी दोस्त मिली है आज
कुछ उपहार लिए कुछ पत्तीया
बहुत सारी बतियाँ
कुछ खट्टे मिठे व्यंजन
कुछ खट्टी मिठी यादें
और मिला एक रूमाल पुराना
याद दिला गया गुजरा जमना
सब रख छोडे कोई कैसे
जब प्यारी हो वैसे का वैसे
वक्त की विरासत में
ये अनमोल हुआ करती है
यादों में सब चीजें
सजीव हुआ करतीं हैं
मिठी यादें बासी
खट्टी हैं सब ताजी
चटखारें ले लेकर
चाहे बातें कर लो जीतनी
रहेंगीं ये उतनी ही अपनी
यादों के झरोखों से
झाकेगीं ये अक्सर
बाहें फैलाकर मिल लो
या आखें फेरो अपनी
ये रहेंगी अपनी की अपनी
पुरानी यादों से निकल कर
पुरानी बातों से निकल कर
पुरानी दोस्त मिली है आज
.........स्व रचित

खुशफहमी

खुशफहमी थी मुझे
कि साथ हो तुम मेरे
तुम्हारे छल के तीर
निशाने पर मेरा विश्वास
त्याग तपस्या निष्ठा
निशाना चूका या
साईं ने थामा
साईं ने विश्वास का
मुझे फल दिया
जो भी हुआ
खुशफहमी टुटी
लोग बेनकाब हुए
छल का जीवन है शेष
बचा न उसका कुछ लेश
मेरी खुशफहमी की
तुम साथ हो मेरे
अब नही है
क्यो की
तुम कभी
पास भी नही थे मेरे
था तो सिर्फ छल धोखा
रह गया वह अकेला
किसी और पात्र के तलाश में
ताजी स्वरचित है