पुरानी यादें


पुरानी यादों से निकल कर
पुरानी बातों से निकल कर
पुरानी दोस्त मिली है आज
कुछ उपहार लिए कुछ पत्तीया
बहुत सारी बतियाँ
कुछ खट्टे मिठे व्यंजन
कुछ खट्टी मिठी यादें
और मिला एक रूमाल पुराना
याद दिला गया गुजरा जमना
सब रख छोडे कोई कैसे
जब प्यारी हो वैसे का वैसे
वक्त की विरासत में
ये अनमोल हुआ करती है
यादों में सब चीजें
सजीव हुआ करतीं हैं
मिठी यादें बासी
खट्टी हैं सब ताजी
चटखारें ले लेकर
चाहे बातें कर लो जीतनी
रहेंगीं ये उतनी ही अपनी
यादों के झरोखों से
झाकेगीं ये अक्सर
बाहें फैलाकर मिल लो
या आखें फेरो अपनी
ये रहेंगी अपनी की अपनी
पुरानी यादों से निकल कर
पुरानी बातों से निकल कर
पुरानी दोस्त मिली है आज
.........स्व रचित

खुशफहमी

खुशफहमी थी मुझे
कि साथ हो तुम मेरे
तुम्हारे छल के तीर
निशाने पर मेरा विश्वास
त्याग तपस्या निष्ठा
निशाना चूका या
साईं ने थामा
साईं ने विश्वास का
मुझे फल दिया
जो भी हुआ
खुशफहमी टुटी
लोग बेनकाब हुए
छल का जीवन है शेष
बचा न उसका कुछ लेश
मेरी खुशफहमी की
तुम साथ हो मेरे
अब नही है
क्यो की
तुम कभी
पास भी नही थे मेरे
था तो सिर्फ छल धोखा
रह गया वह अकेला
किसी और पात्र के तलाश में
ताजी स्वरचित है